घर की चारदीवारी पर पहरा कांच और कीलों का, कौए कब के फुर्र हो गए कब्जा है बस चीलों का। ऐसी पंक्तियों के रचयिता कवि मंजीत अदब भिलाई शहर में काफी लंबे अरसे लेखन कार्य कर रहे हैं। इन्होंने गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं पर समान रूप से लेखन कार्य किया है। अपनी दिव्यांगता को इन्होंने कहीं से भी अपने मनोमस्तिष्क पर हावी नहीं होने दिया।
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Exclusive: घर की चारदीवारी पर पहरा कांच और कीलों का: मनजीत अदब gossip magazines | |
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| News & Politics | Upload TimePublished on 27 Oct 2018 |
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